प्राणायाम का मतलब इस आर्टिकल में अच्छे से समझेंगे और यह भी जानकारी करेंगे कि प्राणायाम का हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर कितना अधिक प्रभाव पड़ता है और इसे अपने दैनिक जीवन में उतारना हम सब के लिए कितना फायदेमंद है।
प्राणायाम का मतलब
प्राणायाम का अर्थ है – प्राण+ आयाम अर्थात अपनी श्वास को बढ़ाना। प्राणायाम के जरिए शुद्ध वायु का अधिक मात्रा में हम सेवन करते हैं जिससे शरीर को अधिक ऑक्सीजन प्राप्त होती है और हमारे शरीर में बहने वाला रक्त शुद्ध होता है ऑक्सीजन युक्त रक्त शरीर में अस्थि मांस मज्जा आदि का विकास करता है स्नायु कोष एवं मांस पेशियों को सबल बनाता है योगासन, मुद्राओं के बावजूद प्राणायाम को श्रेष्ठ माना गया है प्राणायाम से मानसिक स्वास्थ्य लाभ किया जा सकता है।
प्राणायाम से स्वास्थ को नियंत्रण किया जा सकता है जो वायु बाहर से भीतर जाती है उसे श्वास जो भीतर से बाहर की ओर आती है उसे प्रश्वास कहते हैं प्राणायाम की आधारभूत स्वास्थ्य नियम की क्रिया इस प्रकार है।
- पूरक
- रेचक
- कुंभक
कुंभक भी दो प्रकार का होता है।
- आंतरिक कुंभक
- बाह्य कुंभक
शक्ति मिलती है।
स्वास नियमन की नीतियों के द्वारा प्राणायाम की साधना की जाती है प्राणायाम की साधना से साधक चमत्कारिक सिद्धियों को प्राप्त करने में और आध्यात्मिक ऊंचाइयों को छूने में समर्थन हो सकता है लेकिन उतना आगे तक जाने की जरूरत किसी भी प्रकार की नहीं है केवल हमें प्राणायाम करना चाहिए कि हमारे शरीर को और मन को शांति का अनुभव हो सके और अपने रोजमर्रा के जीवन में होने वाली बाधाओं का समाधान हम प्राप्त कर सकें और इसलिए हमें इसे जीवन में उतारना नितांत आवश्यक है।
वैसे किसी भी प्राणायाम का मतलब ऊपर स्पष्ट किया जा चुका प्राणायाम का मतलब क्या होता है, ऊपर विस्तार में इस बात की जानकारी दी जा चुकी है फिर भी लोग अलग अलग तरीकों से perform करते हैं।
एक प्राणायाम के बारे में हम यहां डिसकस करेंगे।
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नाड़ी शोधन प्राणायाम
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने के लिए सूर्योदय से पहले किसी साफ हवादार या स्वच्छ और गर्दन को सीधा संतुलित रखते हुए सुख आसन या पद्मासन में एकाग्र चित्त होकर बैठ जाना चाहिए उसके बाद अपने दाहिने नाक को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से दबाकर बंद कर देना चाहिए और बाएं नाक से धीरे-धीरे परंतु गहरा और भरपूर श्वास भीतर ले अब बाए नाक को चौथी और पांचवी अंगुली से बंद रखते हुए दाहिने नाक पर से अंगूठे का दबाव हटाकर दाहिने नाक से धीरे-धीरे श्वास होना चाहिए इसके दाहिने नाक से ही गहरा श्वास अंदर खींचकर बाय नाक से सहज ता पूर्वक बाहर निकलना चाहिए इस तरह यह एक बार अनुलोम विलोम या नाड़ी शोधन प्राणायाम की आवृत्ति हुई ।
प्रतिदिन प्रतिदिन इसे एक बार करके बढ़ाते हुए 15 बार तक जाना चाहिए उससे आगे नहीं बढ़ाना चाहिए।
यदि हम प्राणायाम में नियमितता बनाए रखेंगे तो इससे हमारे जीवन में उज्जवलता स्पष्ट झलक दिखाई देने लगेगी और हमें शारीरिक मानसिक स्तर पर काफी लाभ मिलने लगेंगे।
हमें विशेष शांति का अनुभव होगा प्राणायाम का महत्व प्राचीन काल से ही है ऋषि मुनि भी इसका अभ्यास किया करते थे।